*भारतीय इतिहास का वह गौरवशाली दिन, 26 नवंबर 1949,*
*भारतीय इतिहास का वह गौरवशाली दिन, 26 नवंबर 1949,*
*महेंद्र भावसार की कलम से✍️*
आज ही के दिन देश का "लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष संविधान" का अवतरण हुआ था ! इसके निर्माता डॉक्टर अंबेडकर थे ! आज बखूबी 74 वर्ष पूर्ण होने पर, संविधान एवं इसके विद्वान निर्माता को, शत शत नमन
निश्चित रूप से इस संविधान ने, पिछले 74 वर्षों में हिंदुस्तान की, काया ही पलट दी ! तमाम सामाजिक/ आर्थिक/ धार्मिक भिन्नताओं/ असमानताओं को, समानताओं में बदल दिया !! देश के हर नागरिक की अपेक्षाओं और आशाओं का, मार्गदर्शन/ संरक्षक बना !!
*किंतु-परंतु, यह लचीलापन का टेस्ट ड्राइव ! आखिर, कब तक चलेगा ? जातिगत आरक्षण और अनुदान की भी कोई समय सीमा होती है क्या ?
अच्छाइयों के साथ, कुछ बुराइयां भी सन्निहित होती है ! जो देश को दीमक की तरह, शनै:-शनै: खा रही होती है ! इनका संतुलन, आखिर कौन बनाएगा ?
संविधान का अतिशय लचीलापन !
शासकीय जनहितकारी विकासशील योजनाओं/ परियोजनाओं, उसकी सफलता और समयबद्धता के प्रति, विधायिका/ कार्यपालिका, लगभग गैर जिम्मेदार !
देश के विभिन्न करदाताओं के हित में, लोकतांत्रिक संविधान में कोई जगह नहीं !
निरंकुश प्रशासन और अतिशय स्वतंत्रता, अतिशय अपराधों की जननी !
वर्तमान लोकतांत्रिक संविधान के चार स्तंभों में, सर्वाधिक शक्तिशाली "विधायका" का होना ! यह एकतरफा अन्याय ही है ! जिसमें बाकी तीन, मुकदर्शक ही हैं ! भ्रष्ट/ मौका परस्त/ स्वार्थी/ सत्ता-लोलुप/ अमानक/ अयोग्य/ अशिक्षित लोकतांत्रिक निर्वाचन प्रक्रिया के तहत, विशेष कर हिंदू समाज को, परस्पर विद्रोह की ज्वाला में धकेल रहा है ! खंड-खंड कर रहा है !
लोकतांत्रिक सत्ता की लालसा ! अनगिनत/ असीमित विभिन्न राजनीतिक दल ! एवं, लोकतांत्रिक चुनाव की फ्रीक्वेंसी/ तीव्रता/ बारंबारता ! एकतरफा/ अनर्गल जातिगत आरक्षण/अनुदान ! आत्मरक्षा एवं महत्वाकांक्षा/ इज्जत बचाने हेतु, परस्पर आरक्षित- अनारक्षित समाज, एक दूसरे की विद्रोह की ज्वाला में, जल रहा है
अर्थात, हमें हमारे संविधान की विभिन्न विसंगतियों को, समय-समय पर दूर करना चाहिए ! ताकि, विकास के साथ-साथ, सामाजिक समन्वय बना रहे ! "समाज सुरक्षित, तो देश सुरक्षित"