इमली ब्लडप्रेशर काबू रखे, नींबू भगाए बुढ़ापा:डॉक्टर संतोष के दमामी
टमाटर कैंसर से बचाए; घाव लगने या जोड़ों के दर्द में खट्टा खाने से नुकसान डॉ. दमामी
पंजाबी कढ़ी, मारवाड़ी कढ़ी और काठियावाड़ी डपका यानी कढ़ी…आप देश के जिस भी इलाके में जाएं उस इलाके में खाई जाने वाली कढ़ी का अपना अलग स्वाद होगा।
मतलब हिंदुस्तान में सब अपनी खिचड़ी ही नहीं कढ़ी भी अलग पकाते हैं, लेकिन जैसा कि माना जाता है, इंसान को बनाने वाला सबका ईश्वर एक है, उसी तरह सभी की कढ़ी को कढ़ी का टेस्ट देने वाली एक ही चीज है- वह है खटाई। कढ़ी में ये खटाई यानी खट्टापन छाछ या सूखे आम की खटाई से आता है।
आज ‘फुरसत का रविवार’ है यानी घर की रसोई में कढ़ी चावल बनाने का दिन। कढ़ी में जरूर दही या सूखे आम की खटाई पड़ी होगी, तो आज इसी खटाई पर ही बात करते हैं।
इंसानों ने खट्टा खाना क्यों शुरू किया?
आखिर कढ़ी के लिए खटाई अनिवार्य तत्व क्यों है? अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, नई दिल्ली डॉ.संतोष के दमामी (चिकित्साअधिकारी) कहती हैं- आयुर्वेद में खानपान में छह रसों यानी 6 प्रकार के टेस्ट- मीठा, नमकीन, अम्लीय (खटाई), तीखा, कड़वा और कसैला का उल्लेख है।
हम सबसे ज्यादा मीठा खाते हैं। चावल और रोटी सब मधुर रस की कैटेगरी में आते हैं यानी इन सब में कार्ब्स हैं और शुगर है। हम सबसे ज्यादा यही खाते हैं, लेकिन इसकी अधिकता घातक है।
शुगर की अधिकता का एक नतीजा डायबिटीज है। शायद खानपान में कार्बोहाइड्रेट्स की अधिकता को न्यूट्रलाइज करने के लिए ही इंसान ने खटाई खानी शुरू की होगी।
कढ़ी में खटाई क्यों डाली जाती है? इस सवाल पर डॉ. संतोष के दमामी कहती हैं कि बेसन में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है।
अगर कोई शख्स बिना खटाई के कढ़ी खा ले तो हाजमा बिगड़ जाएगा। बेसन में खटाई डालकर उसमें मौजूद प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के असर को कम किया जाता है। खटाई खाने को पचाने और भूख लगने में मदद करती है।
खटाई फूड कल्चर में कब आई?
भले ही खटाई की हजारों रेसिपी मिल जाएंगी, लेकिन फूड कल्चर में खटाई कब शामिल हुई इसका कोई जिक्र नहीं मिलता है।
इसका मतलब ये हुआ कि खटाई इंसानी शरीर की स्वाभाविक जरूरत है। डॉ.संतोष के दमामी कहती हैं कि शरीर को कब क्या खाना चाहिए वो खुद बताता है।
शेफ आशीष भसीन ने बताया कि अपने देश के हर हिस्से में रेसिपी में खट्टापन लाने के लिए अलग-अलग चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। यह उस इलाके के मौसम और वहां आसानी से उपलब्ध फलों और सब्जियों पर निर्भर करता है।
आयुर्वेद में भी है खटाई का जिक्र
डॉ.संतोष के दमामी कहती हैं कि आयुर्वेद के चार बुनियादी सिद्धांत हैं, जिनमें से दो सिद्धांत हमारे शरीर और खानपान से जुड़े हैं। त्रिदोष सिद्धांत वात, पित्त और कफ से जुड़ा है।
इसके अलावा सामान्य विशेष सिद्धांत बताता है कि हमारे शरीर में जिस चीज की कमी होती है, खाने में उसकी मात्रा बढ़ा दी जाती है और जिस चीज की अधिकता है, उसे कम करने के लिए उसके विपरीत गुणधर्म की चीजें खाने-पीने में दी जाती हैं।
खटाई में मिनरल्स या विटामिन होते हैं। इनका बॉडी में संतुलन बनाए रखना जरूरी है। शरीर को मधुर रस की अधिक जरूरत होती है। जबकि खटाई कम मात्रा में ली जाती है।
हमने डॉ. संतोष के दमामी से 8 सवालों के जवाब जाने, जो आम तौर पर हम सभी के मन में उठते हैं।
1. खाने के साथ खट्टा क्यों खाया जाता है?
खटाई खाना पचाने में मदद करती है। भूख बढ़ाती है। खाने के समय खटाई मिले तो भोजन में रुचि बढ़ जाती है।
2. खटाई खाने के फायदे और नुकसान?
हर खट्टी चीज के अपने गुणधर्म होते हैं। कुछ खट्टी चीजें सर्दी के दिनों में जबकि कुछ खट्टी चीजें गर्मी के मौसम में खाई जाती हैं।
मसलन आंवला, जिसमें कसैलापन भी होता है, लेकिन आंवला की तासीर ठंडी होती है। यह हर मौसम में खाया जा सकता है। इम्यूनिटी बूस्टर होने के साथ ही त्वचा निखारता है।
पंच महाभूत सिद्धांत के अनुसार खट्टी चीजों में अग्नि महाभूत होती है। अग्नि का काम है भूख बढ़ाना। खट्टी चीजें थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाते हैं तो हमारी खाने में रुचि बढ़ती है। भूख खुलती है।
लेकिन खट्टा अगर अधिक खाएंगे तो यह नुकसान पहुंचाएगा। नींबू को आयुर्वेद में रुध्य माना गया है। खटाई चोट या जख्म को पका देती है।
किडनी और हड्डियों की बीमारी में खट्टा नहीं खाना चाहिए। जिन्हें हाइपर एसिडिटी, एनीमिया, गैस, पेट या मुंह के अल्सर, रूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या है उन्हें खट्टा नहीं खाना चाहिए।
रात में खट्टा खाने से नींद उड़ जाएगी। पेट में दर्द होगा। मुंहासे हो सकते हैं।
3. खटाई के नाम पर मुंह में पानी क्यों आता है?
जब हम कोई चीज खाते हैं तो हमारे मुंह में लार बनती है, जो लार ग्रंथियों से निकलती है। लार में पानी के अलावा इलेक्ट्रोलाइट्स, जीवाणुरोधी कंपाउंड और बहुत से पाचक एंजाइम्स होते हैं।
लार का मुख्य काम खाने को पचाना होता है। जब हम खाना खाते हैं तो हमारे दिमाग को तुरंत इसकी सूचना मिलती है और मस्तिष्क लार ग्रंथियों को आदेश देता है और मुंह में लार निकलने लगती है।
इस तरह हमारे मस्तिष्क में खाने की चीज और लार में खास रिश्ता बन जाता है, जिसे मनोविज्ञान में कंडीशनिंग कहा जाता है। इसलिए जब कभी खाने की चीजें देखते हैं मुंह में लार पैदा होने लगती है।
इसी को ‘मुंह में पानी आना’ कहा जाता है। खट्टी चीजों से मुंह में ज्यादा पानी इसलिए आता है, खट्टी चीजों में एसिड होता है जो दांतों के कवच यानी एनामेल को नुकसान पहुंचाता है।
हमारी लार ग्रंथियां खट्टी चीजें देखते ही दातों को बचाने की तैयारी में जुट जाती हैं और इस वजह से ज्यादा लार छोड़ने लगती हैं।
4. दो खट्टी चीजें एक साथ खा सकते हैं?
दो खट्टी चीजें एक साथ खा सकते हैं। हालांकि इससे खट्टापन बढ़ जाता है, लेकिन किन्हीं भी दो खट्टी चीजों की तासीर एक जैसी हो तो खाना सही है।
जैसे चाट में इमली और दही को एक साथ सर्व किया जाता है। इमली और दही दोनों गर्म तासीर के हैं। इससे बॉडी में गर्मी बढ़ेगी और एसिडिटी हो सकती है।
चाट में अनारदाना और मसाले भी पड़ते हैं। अगर चाट अधिक मात्रा में खा ली जाए तो हाइपर एसिडिटी होने लगती है। यानी दो खट्टी चीजें खा सकते हैं, लेकिन उनका आपसी तालमेल और उनकी मात्रा देखना जरूरी है।
गुजरात में खट्टी मूंग दाल खाई जाती है, जिसमें दही का इस्तेमाल होता है।
5. पीरियड्स में क्या खटाई खाई जा सकती है?
पीरियड्स के दौरान बॉडी में गर्मी बढ़ती है। ज्यादातर खट्टी चीजें भी गर्म तासीर की होती हैं। खटाई खाने से शरीर की गर्मी और बढ़ेगी, जिससे पीरियड्स के दौरान होने वाली तकलीफें बढ़ जाती हैं।
इसलिए पीरियड्स में खट्टी चीजें खाने को मना करते हैं। कई महिलाओं को पीरियड्स में लूज मोशन होने की शिकायत होती है, खटाई गर्म होने से हाजमा और खराब करेगी। इसलिए पीरियड्स में हल्का खाना खाने की सलाह दी जाती है।
6. प्रेग्नेंट महिलाएं खट्टा क्यों खाती है?
प्रेग्नेंसी में महिला को ज्यादा खाने की जरूरत होती है। खटाई भूख बढ़ाने का काम करती है। इसलिए प्रेग्नेंसी में ठंडी तासीर वाली खट्टी चीजें खाएं।
इससे गर्भ में पल रहे बच्चे को भी पोषक तत्व मिल जाते हैं। हालांकि प्रेग्नेंसी में शुरू के तीन-चार महीने के बाद खट्टी चीजें नहीं खानी चाहिए।
7. किसे खट्टा नहीं खाना चाहिए?
जिस शख्स का पित्त (एसिडिटी) बढ़ा हुआ है, उसे ज्यादा मात्रा में खट्टा नहीं खाना चाहिए। खटाई में गर्मी होती है। अगर खटाई खाते हैं तो दिक्कत बढ़ेगी।
8. जोड़ों के दर्द से परेशान होने पर क्या खटाई खा सकते हैं?
जोड़ों में सूजन (इंफ्लेमेशन) होने से दर्द होता है। खटाई खाने से ये इंफ्लेमेशन और बढ़ सकता है। सबको लगता है कि दही ठंडा है, लेकिन इसकी तासीर गर्म है।
इसलिए डॉक्टर दर्द में दही खाने से मना करते हैं। जोड़ों के दर्द में दही, इमली और टमाटर नहीं खाना चाहिए।
खटाई सेहतमंद रहने में मदद करे
खट्टी चीजें पौष्टिक, विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती हैं। यह प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला यौगिक है जो विभिन्न प्रकार के फलों में पाया जाता है। यह कोशिकाओं को नुकसान से बचाता है। खट्टे फलों में साइट्रिक एसिड की मात्रा अधिक होती है.. ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेदा - नई दिल्ली,
की डॉ.संतोष के दमामी चिकित्साधिकारी- ने बताया कि कोई भी अधिक खट्टी चीज सीधे नहीं खानी चाहिए।
नींबू भी इसीलिए पानी में मिलाकर पिया जाता है। कच्चे आम से चटनी बना सकते हैं या आम पन्ना पिएं। इमली को रातभर भिगोकर मैश कर इस्तेमाल करें।
बॉडी में खटाई की मात्रा बढ़ने से डिहाइड्रेशन होगा। गर्मी में लू लग सकती है। ब्लड प्रेशर बढ़ जाएगा।
डॉ. संतोष के दमामी ने बताया कि आयुर्वेद के मुताबिक महिलाएं पित्त प्रकृति की होती हैं। उन्हें पीरियड्स आते हैं। आसान भाषा में कहें तो महिलाओं का खून गर्म होता है।
खून की उष्ण प्रकृति के चलते महिलाओं को खट्टा पसंद आता है। इसी की वजह से महिलाओं में चिड़चिड़ेपन की समस्याएं देखने को मिलती हैं।
तो खटाई चटखारे लेकर खाएं जरूर, लेकिन इस बात का ध्यान जरूर रखें कि सेहत का मामला खटाई में न पड़ जाएं।