सनातन संस्कृति ने ही जीवन जीने का पथ दिखाया, हमें इस पर गर्व- कृपा व्यास
चक्र भवानी शक्तिपीठ पर आयोजित कथा का दुसरा दिन ----
मीरा व कृष्ण की झांकियों ने मन मोहा
डूंगला। निकटवर्ती चक्रभवानी शक्ति पीठ बड़वाई पर नवम पाटोत्सव को लेकर आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के दुसरे दिन कथावाचक श्रीकृपा व्यास ने कहां कि हमारा सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति हमे जीवन के पथ पर आगे बढाया जिसने हिदूत्व दिया, अनेको पुराण दिए जिस पर हमे गर्व है । विश्व में ऐसा कोई धर्म नहीं जो प्रभू से मिलन का मार्ग प्रशस्त करें, संस्कृति ने हमे विवेक बुद्धी देकर सर्वथा योग्य बनाया ।
कृपा व्यास ने कहा कि जिस मनुष्य के जहवन में भक्ति , ज्ञान ,वैराग्य ओर भक्ति होती है वहां विवेक व बुद्धी होती है । आज कोई सत्ता का अभिमान करता है तो कोई धन का , जीवन में मनुष्य को अंहकार ,अभीमान व आपसी द्वेषता करने के बजाय अपने आचरण बदलने चाहिए । जहा निर्भय मन वहा भगवान का निवास होता है । कथा के दौरान गुरू के महत्व को बताते हुए कहा कि गुरू ही हमे सदमार्ग की ओर ले जाता है । दुसरे दिन की कथा में नेमीशारण्य तिर्थ में ८८ हजार ऋिषियों का एकत्रीकरण , सनकादी ऋषियों, सुकदेव मुनी व देवताओं के संवाद , नारद मुनी की कथा का वर्णन किया । कथा के दौरान मीरा व कृष्ण की मनमोहक झाकि यों को प्रस्तुतिकरण किया गया तो पुरा पाण्डाल भक्तिमय हो गया । कथा के दौरान मधूर भजन मतकर माया को अभिमान , काया थारी धूल हो जासी ---- सहित भजनों पर देर रात तक श्रौता झूमते रहें । कथा के दौरान कथा वक्ता श्रीकृपा व्यास का मंदिर मण्डल सहित ग्रामीणों द्वारा साफा पहनाकर स्वागत किया गया । कथा का समय प्रात: १० बजे से १२ बजे तक व सायं ७.३० बजे से १० बजे तक का रखा गया है । कथा का श्रवण करने भींडर, कानोड़ , डूंगला सहित आस-पास गावों से श्रंद्धालू पहुॅच रहें है ।
फोटो- कथा वाचन करती कथा वक्ता श्री कृपा व्यास व श्रवण करते श्रौता ।