योग का नियमित अभ्यास फेफड़ों को बनाएं स्वस्थ
योगा एक्सपर्ट अलका सिंह नई दिल्ली
पत्रकार चेतन व्यास
दिल्ली। कोरोना महामारी की दूसरी लहर खतरनाक साबित हो रही।इसने सभी को परेशान कर रखा है।इस बार का कोरोनावायरस भयंकर और विनाशकारी रूप में आया है। इससे सभी डरे तथा घबराए हुये हैं।कोरोना का नया सट्रेन काफी खतरनाक है और इस बार 25 फ़ीसदी लंगस डैमेज होने के बाद कोरोना के लक्षण सामने आते हैं। जब तक कोरोना की रिपोर्ट आती है सांस लेने में परेशानी शुरू हो जाती है। इस बार 60 से 65 फीसदी मरीजों को सांस लेने में काफी दिक्कत आ रही है। उनका ऑक्सीजन लेवल तेजी से घटता है और ऑक्सीजन ना मिले तो हालत बहुत गंभीर हो जाते हैं हाई बीपी,और दिल के मरीजों को भी इसका खतरा अधिक होता है।
*सासो की इमरजेंसी की नौबत ही ना आए इसके लिए नियमित रूप से अवश्य ही योग करे।इस संकट का समाधान क्या है?इस संकट का समाधान होगा योग से।*
*फेफड़ों का महत्व क्या है?*
फेफड़े यानी लगस जो हमारे शरीर का एक अहम हिस्सा है।अगर शरीर के प्रमुख अंगो की बात की जाए तो इस दृष्टिकोण से फेफड़ों की अहमियत सबसे ज्यादा है, क्योंकि इन्हीं की वजह से हम सांस ले पाते हैं। नाक और सास की नलियों के साथ मिलकर यह शरीर के भीतर शुद्ध ऑक्सीजन पहुंचाने और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालने का काम करते हैं। फेफड़े शरीर के लिए फिलटर का काम करते हैं। इनमें होने वाले मामूली सी खराबी से भी कई गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।कोविड सकमण के दौर में इस अग का खास ध्यान रखें। भले ही यह शरीर के भीतर होते हैं किसी भी तरह के सकमण या प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर लगस पर ही पड़ता है।कोरोनावायरस का भी सीधा असर वयक्ति के लगस पर ही पड़ता है। इसलिए इसका विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है।
गहरी लंबी सांस लेने से फेफड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है जो फेफड़ों को साफ करने में मदद करती हैं, लेकिन ज्यादातर लोग गहरी सांस नहीं लेते, जिसके चलते फेफड़ों का एक चौथाई हिस्सा ही काम करता है। फेफड़ों की शुध्दि के लिए उसकी सफाई के लिए प्राणायाम एक बेहतरीन तकनीक है। जब आप सास सही तरीके से लेना सीख जाएंगे तो लंबा और स्वस्थ जीवन बिताने से आपको कोई रोक नहीं पायेगा।
*हम मे से तमाम लोग इस बात से अनभिज्ञ हैं,कि सांस छोड़ने के बाद भी वायु कुछ मात्रा में फेफड़ों में शेष रह जाती है, इसे वायु की अवशेष मात्रा कहते हैं। यह जहरीली वायु होती है ,जिसमें कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाई ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड इन जहरीली वायु को शरीर से हटाने के लिए प्राणायाम बहुत प्रभावकारी सिद्ध होता है।*
फेफड़ों को स्वस्थ बनाएं प्राणायाम योग में कुछ विशेष योगासन प्राणायाम मेडिटेशन टेक्निक्स हैं, जो फेफड़े
को स्वस्थ बनाएगे तथा आकसीजन का लेवल भी बढाएंगे।
प्राणायाम कीजिए फेफडे बनेंगे स्वस्थ
*फेफड़ों को स्वस्थ बनाएं और फेफड़ों की कार्य क्षमता को बढ़ाएंगे यह आसन* सर्वांगासन, भुजंगासन ,योग मुद्रासन, शशांक आसन ,मकरासन, गोमुखासन उत्तानपादासन ,ताड़ासन, मंडूकासन ,उष्ट्रासन पवनमुक्तासन ,मार्जरी आसन और नौकासन,शलभासन , सेतुबंधासन
*शलभासन मुद्रा* के जरिए भी फेफड़ों को स्वस्थ बनाया जा सकता है।इस योग आसन को करने से शवसन प्रणाली मजबूत होती है और फेफड़े भी सक्रिय रूप से कार्य कर सकते हैं इससे आपको रेस्पिरेट्री सिस्टम से जुड़ी किसी भी प्रकार की बीमारी का खतरा कई गुना तक कम हो जाता है।
*शलभआसन की विधि*:योगा मैट पर पेट के बल लेट जाएं। उसके बाद अब अपने दोनों हाथों को जांघों के नीचे रखें। अब अपने सिर को जमीन से चिपका कर रखें। अब पैरों को पीछे की ओर से उठाएं एक संतुलन की स्थिति बनाएं और इसी मुद्रा में करीब 10 सेकेंड तक रुके यह एक चक्र पूरा हुआ।इस योग प्रक्रिया को करीबन 5 मिनट तक किया जा सकता है।
प्राणायाम श्वसन तंत्र का एक खास वयायाम है जो फेफड़ों को मजबूत बनाने और रक्त संचार बढ़ाने में मदद करता है। फिजीयोलोजी के अनुसार जो वायु हम श्वसन क्रिया के दौरान भीतर खीचते हैं, वो हमारे फेफड़ों में पहुंच जाती है और फिर पूरे शरीर में फैल जाती है। इस तरह शरीर को जरूरी ऑक्सीजन मिलती है। अगर श्वसन कार्य नियमित और सुचारू रूप से चलता रहे, तो फेफड़े स्वस्थ रहते हैं।
*इन सभी प्राणायाम के अभ्यास से बनेंगे फेफड़े स्वस्थ*
अनुलोम विलोम प्राणायाम,कपालभाती प्राणायाम, भस्त्रिका, भामरी, उज्जाई, उदगीद,नाड़ी शोधन
*भस्त्रिकाप्राणायाम*
इसकाअभ्यास शरीर से विषैले तत्व बाहर निकालने में मदद करेगा और रोग मुक्त रखेगा फेफड़ों से बार बार सांस निकलने और भीतर जाने से पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है और कार्बन डाइऑक्साइड व जहरीली गैस भी सुचारू रूप से बाहर निकलती है। इससे लगस की कैपेसिटी बढ़ती हैतथा फेफड़ों को स्वस्थ बनाता है।
*विधि*: किसी भी सुख पूर्वक आसन में बैठ जाएं ।पीठ और गर्दन को सीधा रखें।नाक से सांस छोड़ें और खींचे। आंखों को बंद रखें। गहरी सांस लेते समय हाथों को ऊपर उठाएं।हाथों कंधों के समानांतर नीचे लाते हुए सांस छोड़ें। अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें और गिनती गिने और ऐसा करने के बाद नाक के दोनों छिद्रों को बंद करें। कुछ सेकंड सांस रोके।इसे कम से कम 20 से 50 बार तक ले जाएं। अपनी क्षमता के अनुसार इसका अभ्यास करें।
*कपालभाति प्राणायाम* यह क्रिया नाडीको साफ करती है और मस्तिष्क को शांत करती है। मानसिक कार्य करने के लिए मस्तिष्क को ताकत और ऊर्जा देने का काम करती हैं, साथ ही फेफड़ों की सफाई भी करती है। यह क्रिया फेफड़ों की ब्लॉकेज खोलने में मदद करती है। नर्वस सिस्टम को मजबूत और पाचन क्रिया को दुरुस्त करने का कार्य करती है।
*विधि:* आराम की मुद्रा में बैठ जाएं। पीठ गर्दन सीधा रखें। सांस बाहर छोड़ने के दौरान अपने पेट को झटके से अंदर की तरफ खींचे इसके बाद सामान्य रूप से सांस ले।
*फेफड़ों को स्वस्थ बनाए डीप ब्रीदिग*
गहरी सांस लेने और छोड़ने से आप की श्वसन प्रणाली पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।इससे फेफड़ों की मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं।एक अध्ययन के अनुसार गहरी सांस लेने का अभ्यास करते हैं तो हृदय गति की स्थिरता में सुधार होता है। आपके फेफड़े और दिल अधिक स्वस्थ और मजबूत बनते हैं। *साइकोलॉजिस्ट का कहना है कि गहरी सांस लेने का सकारात्मक असर मष्तिष्क के साथ-साथ हमारे पूरी सेहत पर पड़ता है। इससे ऑक्सीजन की सप्लाई अच्छी तरह से होती है।सभी नर्वस शांत हो जाती हैं।शरीर की मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं। रक्त के दबाव में कमी आती है। गहरी सांस लेना हृदय और फेफड़ों दोनों के लिए बेहद अच्छा माना गया है। इससे इन्हें मजबूती मिलती है फिर दे और फेफड़े अपना काम बेहतरीन ढंग से कर पाते हैं* प्रतिदिन दो से 3 मिनट गहरी सांस लेने से ध्यान और एकाग्रता में वृद्धि होती है।
*अंतत: निष्कर्ष यह निकलता है* कि योग ,प्राणायाम का नियमित अभ्यास बनाएगा फेफड़ों को स्वस्थ बनाकर उनकी कार्य क्षमता को बढ़ाएगा और हमें स्वस्थ रखने में कारगर साबित होगा।