वैश्विक महामारी में 'भगवान' बने 'कोरोना योद्धा', मरीज के साथ कैसे संभाल रहे अपना परिवार डॉक्टर

 पत्रकार चेतन व्यास


भींडर।कोरोना महामारी में अपनी जान की परवाह करते हुए भींडर गुलाब सिंह सामुदायिक चिकित्सालय के डॉक्टर राजीव आमेटा एव स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुरेंद्र यादव द्वारा किया जा रहा है इलाज




 उदयपुर जिले के एक ऐसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर बैठे डॉक्टर राजीव आमेटा एव स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुरेंद्र यादव ने खुद के जान की परवाह कीये बिना मरीजो के ईलाज कर मरीजों के दिल में जबर्दस्त जगह बना ली है । हमारे संवाददाता आर.के.गर्ग ने भींडर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में जाना कि क्षेत्र में एक तरफ अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा मरीजों को दूर से ही दवाइयों की पर्ची पर दवाइयां लिखकर दी जा रही है और दूसरी ओर भींडर सामुदायिक हॉस्पिटल के दोनों कोरोनो योद्धाओं द्वारा बेजिजक दूरी बनाए हुए दवाई लिख भी  रहे और जाँच भी कर है। डॉक्टर राजीव आमेटा एव स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुरेंद्र यादव द्वारा मरीजों को व्यवस्थित तरीके से जांच कर उनका इलाज प्रारंभ किया जाता है और उन्हें सही मार्गदर्शन देकर घर पर आराम करने की सलाह दी जाती है ।



 हम आपको बता दें :- डॉक्टर राजीव आमेटा एव स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुरेंद्र यादव द्वारा इस महामारी काल अभी तक एक भी दिन अवकाश नही लिया और ना ही किसी मरीजों के साथ में गलत बर्ताव किया ।

जी हाँ  लोगो द्वारा इन  सफेद कोट पहने डॉक्टर यू हीं धरती के भगवान नहीं कहते है।ये रात-दिन देखे बिना कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में लगे हुए हैं। थके-हारे घर पहुंचे तो परिवार के साथ घुले मिले बिना खुद को एक कमरे तक सिमटा लेते है। सोलह महीने से लगातार ड्यूटी करने से थकान जरूर हावी है लेकिन बोले, कोरोना को हराने के बाद ही दम लेंगे।




ये करते है 10-12 घंटे ड्यूटी, 

फिजिशियन डॉ. राजीव आमेटा सोलह महीने से कोरोना संक्रमण मरीजों के इलाज में लगे हैं। सुबह आठ बजे घर से निकलना, रात को कब घर आएंगे कोई तय नहीं। संक्रमण को देखते हुए परिजनों से भी ज्यादा घुलते-मिलते नहीं। एक कमरे में ही खाना-पीना होता है। जब ये ड्यूटी जाते हैं तब बच्चे हँसते हँसते विदा करते हैं। डॉ. राजीव आमेटा बताते हैं कि एक बार कोरोना निपट जाए, तब असली जीत होगी।


हॉस्पिटल में नमूना जांच में लगे अम्बा लाल नागदा बताते है कि नमूनों की जांच करना और उनकी रिपोर्ट बनाने के कार्य में सुबह से देर रात हो जाती है।  बच्चे इंतजार कर सो जाते हैं, वह काफी देर बाद घर पहुंचते हैं। उन्होंने बताया कि कामकाज इतना है कि ऑफिस को ही दूसरा घर बना लिया है। सोलह महीने से यही हाल है।

 डॉ सुरेश डामोर,एवं डॉ रेणुका डामोर के साथ ही नर्सिंग ऑफिसर आशीष बंधु चौबीसाअतुल आमेटा ,अरविंद व्यास,निर्मला मीणा, रेखा बैरवा, संपत रेगर,किशन रावत जैसे सभी नर्सिंग ऑफिसर जो कोविड अस्पताल के प्रबंधन को देख रहे हैं। मरीजों के इलाज से डिस्चार्ज तक की व्यवस्थाएं देख रहे हैं।ये दिन और रात में ड्यूटी देने के बाद थकान से शरीर चूर-चूर हो जाता है, कहते हैं मरीजों के भरोसे से कार्य करने की ऊर्जा मिलती है। बस कोरोना वायरस को हरा दें, तब सही मायने में उसी दिन असल रूप में हमारा दिन होगा ।

कोरोनो काल मे गर्भवती महिलाओं के रक्षक बने डॉक्टर यादव

 डॉ. सुरेंद्र यादव जो महिला रोग विशेषज्ञ है जो बताते है कि सोलह महीने क्षेत्र की लग भग 35-40 गावो की महिलाओ की डिलिवरी से लेकर छोटी-मोटी बीमारी का इलाज किया गया । दिन भर मरीजों की स्क्रीनिंग, सोनोग्राफी डिलेवरी ओर इलाज किया जाता है। शाम को विभागीय रिपोर्ट तैयार करना, देर शाम घर पहुंचकर परिवार भी संभालना पड़ता है। बच्चों को बिल्कुल भी समय नहीं दे पाता हू। अब बच्चे भी मेरी जिम्मेदारी समझने लगे हैं। कोरोना को हराने के बाद ही राहत मिलेगी।


साथ ही दवा वितरण केंद्र के प्रभारी जगदीश अहीर के साथ अर्जुन सालवी मुस्तेदी से लगे हुए है, कुल मिलाकर भीण्डर हॉस्पिटल में टीम वर्क के जज्बे से कोरोना की हार तय है, कुछ ही दिनों में हम ये जंग जीत जाएंगे

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