52 करोड़ रुपए से ज्यादा धनराशि वैक्सीन कंपनियों को देने के बावजूद राजस्थान को पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन नहीं मिल पा रही हैं। यह कहना है राज्य के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा का।------bhawsar today


 



जयपुर। 52 करोड़ रुपए से ज्यादा धनराशि वैक्सीन कंपनियों को देने के बावजूद राजस्थान को पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन नहीं मिल पा रही हैं। यह कहना है राज्य के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा का।

चिकित्सा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने 18 से 44 वर्ष आयुवर्ग के टीकाकरण के लिए अब तक 38 करोड़ 57 लाख 96 हजार 250 रुपए सीरम इंस्टीट्यूट को व 12 करोड़ 7 लाख 3 हजार 640 रुपए भारत बायोटेक को दिए है। इस तरह राज्य सरकार कुल 50 करोड़, 64 लाख 99 हजार 890 रुपए वैक्सीनेशन कंपनियों को दे चुकी है, लेकिन अभी भी पर्याप्त मात्रा में राज्य को वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो रही है।

उन्होंने कहा कि निर्माता फर्म भारत सरकार के नियंत्रणाधीन है, इसलिए भारत सरकार इन दोनों फर्मों को कहे कि राजस्थान को वैक्सीन पर्याप्त मात्रा में शीघ्र उपलब्ध कराए। डॉ. शर्मा ने कहा कि भारत सरकार द्वारा राजस्थान के लिए 45 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के व्यक्तियों के लिए अब तक कुल 1 करोड़ 52 लाख 24 हजार 820 वैक्सीन डोजेज दी हैं और शेष रहे लाभार्थियों के लिए लगभग 3.25 करोड वैक्सीन डोजेज की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा 45 वर्ष से अधिक के समस्त लाभार्थियों के लिए शेष वैक्सीन कब तक उपलब्ध करवा दी जाएगी। इस संबंध में भारत सरकार से सूचना अभी तक प्राप्त नहीं हुई है।

चिकित्सा मंत्री ने कहा कि 45 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के व्यक्तियों के लिए वैक्सीन उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी भारत सरकार की है, जबकि 18 से 44 आयु वर्ग तक के व्यक्तियों के वैक्सीन का खर्च वहन करवाने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार पर डाली गई है। इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 3000 करोड़ रुपए का भार वहन करने की की स्वीकृति भी दे दी है।

राज्य सरकार द्वारा अग्रिम भुगतान करने के बावजूद भी राज्य को वैक्सीन नहीं दे रही है तो क्या केंद्र की कोई जिम्मेदारी नही बनती ? उन्होंने नेता प्रतिपक्ष गुलाब कटारिया द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि आजादी से आज तक कभी भी वैक्सीनेशन का भार राज्यों पर नहीं डाला गया। उन्होंने कहा कि युवाओं के टीकों की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है।

अब भले ही मामला कुछ भी हो लेकिन इस पूरे मामले में राजस्थान सरकार धर्म संकट में फंस गई है। पैसे भी दिए जा रहे हैं और वैक्सीन भी नहीं मिल रही है। एक तरफ राजस्थान सरकार चाहती कि किसी तरह से वैक्सीनेशन को बढ़ाकर कोरोना महामारी पर नियंत्रण किया जाए तो दूसरी तरफ वैक्सीनेशन की उपलब्धता नहीं होने से यह पूरा अभियान कहीं ना कहीं खटाई में पड़ता नजर आ रहा है।

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