सेठ श्री मोतीलाल जी भावसार मक्सी के आदर्शों पर आज भी परिबार आगे बढ़ रहा है अम्बरीष भावसार regards bhawsar today news paper

#प्रसंगवश


श्रीराम जन्मभूमि पर मन्दिर निर्माण कार्य के शुभारंभ से पूर्व भारत की विभिन्न नदियों का पवित्र जल और वहाँ की मिट्टी जन्मभूमि स्थल पहुँचने के दृश्य समाचार माध्यमो से मुझे जैसे ही मिले। इन दृश्यों ने मुझे मेरे ननिहाल की याद दिला दी। 


मेरे जीवन में यह " दूसरी बार " ऐसा दृश्य सामने आया है। जब देशभर की पवित्र नदियों का जल और माटी एक जगह नजर आयी। दूसरी बार इसलिए कह रहा क्योंकि मेरे ननिहाल में यह पवित्र दृश्य बरसो पूर्व से प्रतिदिन ही दिखाई देता है।


सेठ स्व. श्री मोतीलाल जी भावसार ( मक्सी जिला शाजापुर ) , मेरे नानाजी जिन्होंने अपने जीवन में एक ऐसी परम्परा का बरसो तक नियमित पालन किया। जिसे भारत में तीर्थाटन कहा जाता हैं। ननिहाल क्षैत्र में उन्हें क्षेत्रवासी स्नेहवश " सेठ " ही संबोधित करते थे। इसके पीछे उनके कठिन व्यावसायिक संघर्ष और उसमें पाई सफलता थी। 


नानाजी का कहना था कि साल के ग्यारह महीने कसकर मेहनत , व्यापार करो लेकिन करीब " लगभग एक माह " देश की धार्मिक नगरियों और तीर्थो के दिव्य क्षेत्रों में जाकर दर्शन व संत जनो का आशीष लाभ लेने के साथ यथाशक्ति , यथायोग्य अपना योगदान हर तरह से करो। यही कारण रहा कि नानाजी के प्रतिवर्ष यात्रा पर जाने की चाह ने ननिहाल के बच्चे से लेकर बड़ो तक ने अमूमन सम्पूर्ण भारत ( तीर्थ क्षैत्र ) की यात्रा कर ली , यह क्रम उनके देहावसान के बाद आज भी परिजनों द्वारा अनुकूलता अनुरूप जारी हैं।


प्रति वर्ष की इन यात्राओं के दौर से प्रेरित होकर बरसो पूर्व पाँच मामाजी में से दूसरे नम्बर के मामाजी श्री बृजकिशोर जी भावसार ने इन वार्षिक धार्मिक यात्राओं के दौरान भारत के जिस भी क्षैत्र में जाना हुआ। उन्होंने वहाँ की प्रमुख व पवित्र नदी का जल और मिट्टी एकत्रित करने का क्रम आरम्भ कर दिया और इस तरह कुछ ही समय में देश की तमाम पवित्र नदियों का जल व माटी ने उनके पूजा गृह को अनमोल स्वरूप प्रदान कर दिया हैं।


विभिन्न धार्मिक पुस्तकों व पठनीय साहित्य से सज्जित इस पूजा गृह में भारत माता मंदिर हरिद्वार के सूत्रधार रहे भानपुरा पीठ के शंकराचार्य स्वामी श्री सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज का आतिथ्य सत्कार का सौभाग्यशाली सुअवसर भी लगातार सात  दिवस तक ननिहाल परिवार को वर्ष 1970 में प्राप्त हुआ। 


मामाजी बताते है कि स्वामी जी महाराज ने अपने प्रवचन में एक बार कहा था कि देश विदेश में वे जब जाते है तो होटलों में बाईबिल की पुस्तक देखते है। क्यों नहीं....? समस्त जगत का कल्याण करने वाली भगवत गीता जी की एक - एक प्रति भी ऐसे स्थानों पर रहे। भले ही वहाँ पहुँचने वाले उसे सम्पूर्ण अध्ययन ना कर पाए लेकिन कुछ पन्ने भी अगर पढ़ पाए तो भी उनके जीवन में सकारात्मक सुफल मिल सकते है। स्वामी जी की ऐसी प्रेरणा पाकर मामाजी अब तक गीता जी की सैकड़ो प्रतियां निःशुल्क भेंट कर चुके है। 


गौरतलब है कि 1994 में उन्होंने अपने निवास पर भगवान श्री जगन्नाथ , श्री बलभद्र व माता सुभद्रा देवी की प्रतिमाओं की सम्पूर्ण विधिविधान से प्राणप्रतिष्ठा की है। यह आयोजन तीन दिवस तक चला इस दौरान ही मामाजी के द्वारा ईष्ट जनो को श्री गीता जी की 100 प्रतियां भेंट की गई। आज भी मन्दिर दर्शन करने आने वाले प्रभु प्रेमियों को वे गीता जी भेंट करते है , इसके लिए उनके पास 5 से 10 प्रतियां सदैव रहती है।


इस पूजा कक्ष में स्थापित विभिन पवित्र नदियों के जल व  माटी के साथ उन तीर्थ व धार्मिक स्थलों की माटी भी है , जहाँ कोई नदी का प्रवाह नहीं है। इसके साथ ही कक्ष के वाचनालय में 18 पुराण , 4 वेद , 6 शास्त्र , स्वामी रामकृष्ण जी व स्वामी विवेकानंद जी का साहित्य सहित विभिन विद्वानों द्वारा श्री गीता जी पर लिखित 20 से अधिक भाष्य अध्ययन सहित संग्रहित है।


यह पूजा कक्ष , विभूतियों के आतिथ्य सत्कार के अवसरों से सौभाग्यशाली बनता रहा है। प.पू. स्वामी श्री सत्यमित्रानंद जी महाराज के साथ ही युगपुरुष महामंडलेश्वर स्वामी श्री परमानन्द जी महाराज , जूनापीठाधीश्वर स्वामी श्री अवधेशानंद गिरी जी महाराज , रामानंद सम्प्रदाय के सन्तजन सहित राजमाता विजयाराजे जी सिंधिया व अन्य विशिष्ट जनो के आगमन ने इस स्थान को गरिमा प्रदान की है। यहाँ जूनापीठाधीश्वर श्री अवधेशानंद गिरी जी महाराज की चरण पादुकाएं भी स्थापित की गई है।


मामाजी बताते है कि इस कक्ष में साधना की अपनी अलग व विशिष्ट अनुभूतियां है। साधना के दौर में प्रायः ऐसा होता है कि बीते दौर में तीर्थ स्थलों पर की गई यात्राओं के अविस्मरणीय क्षण सहज ही आँखों के सामने से गुजरने लगते है। इनमें बद्रीनाथ ( 33 बार ) , श्री जगन्नाथपुरी ( 27 ) , श्री रामेश्वरम ( 13 ) , श्री द्वारका जी ( 9 ) व बारह ज्योतिर्लिंग यात्रा ( करीब 10 बार ) के देव दर्शन दृश्य विशेष रूप से शामिल है।
 
ननिहाल से जुड़ी ऐसी अनेक यादें 5 अगस्त अर्थात कल , श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण कार्य शुभारम्भ के स्वर्णिम अवसर से जुड़े पवित्र जल व पवित्र माटी के समाचार दृश्य ने ताजा कर दी।


✍️ #अंबरीषभावसार



Popular posts from this blog

द्वितीय पुण्य स्मरण                 9 दिसंबर 2019 भावसार टुडे परिवार की ओर सेे विनम्र हार्दिक श्रद्धांजलि  Regards Bhawsar today news paper

उदयपुर को मिली बड़ी सौगात नांदेश्वर से गोगुन्दा सड़क का होगा कायाकल्प

राजस्थान की भजनलाल सरकार का पहला पूर्ण बजट करते हुए डिप्टी सीएम एवं वित्त मंत्री दीया कुमारी ने आज कई बड़े ऐलान किए हैं.